नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
देवनः यदा यदा गच्छति स्म तदा तदा आहूतवान्।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
चंदन मृगमद सोहै भाले Shiv Chalisa शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।